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प्यार में धोखा खाए रे लोगों के लिए बेवफा शायरी के बेहतरीन शायरी के कलेक्शन यकीनन आपको अच्छे लगेंगे ।
bewafa shayari
कभी जो हम से प्यार बेशुमार करते थे,
कभी जो हम पर जान निसार करते थे,
भरी महफ़िल में हमको बेवकफा कहते है,
जो खुद से ज्यादा हमपर ऐतबार करते थे।
ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने !
ये बेवफा गम-ए-मोहब्बत क्या जाने !
जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर !
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने !!
ज़िंदगी से बस यही एक गिला है,
खुशी के बाद न जाने क्यों गम मिला है,
हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के..
पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है।
रात गहरी थी डर भी सकते थे,
हम जो कहते थे कर भी सकते थे,
तुम बिछड़े तो ये भी ना सोचा हम तो पागल थे मर भी सकत थे.
एक बेवफा से प्यार का अंजाम देख लो,
मैं खुद ही शर्मशार हूं उससे गिला नहीं,
अब कह रहे हैं मेरे जनाज़े पे बैठ कर,
यूँ चुप हो जैसे हमसे कोई वास्ता नहीं…
यादों में तेरी आहे भरता है कोई,
हर साँस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मरना तो सभी को है वो एक हकीकत है,
लेकिन तेरी यादों में हर दिन मरता है कोई.
ये तेरी चाहत मुझे किस मोड़ पर ले आई,
इस दिल में गम है,और दुनिया में रुसबाई,
अब तो कटता है हर पल सदियों के बराबर,
अब तो लगता है के मार ही डालेगी तेरी ये जुदाई.
दूर जा कर भी हम दूर जा न सके…
कितना रोएगे हम बता न सकेगे…
गम इसका नहीं की आप मिल न सकोगे…
दर्द इस बात का होगा की हम आप को भुला न सकेगे।
जब भी करीब आता हूँ बताने के लिए…
जिंदगी दूर कर देती है सताने के लिए…
महफ़िलों की शान नं समझना मुझे…
मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिए…
हाले-दिल उन्हें सुनाने गए थे…
उन्हें बेहाल छोड़ चले आये।
हमें उनसे, उन्हें किसी और से इश्क था,
दिल खुद का तोड़ चले आये।
रात की गहराई आँखों में उतर आई…
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई…
ये जो पलकों से बह रहे हैं HALKE HALKE,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी BEWAFAI.
हमारे आंसू वो जान ना सके,
मोहब्बत की कहानी वो मान ना सके,
कहा था उन्होंने मरने के बाद भी याद आयेंगे,
जीते जी तो वो यादकर ना सके,
हमने भी किसी से प्यार किय्या था…
हाथों में फूल लेकर इंतेजार किया था…
भूल उनकी नहीं भूल तो हमारी थी…
क्यूंकि उन्हों ने नहीं हमने उनसे प्यार किया था.
प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है…
जिसको हम चाहे वही रुलात क्यों है…
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो…
ऐसे लोगो से हमे मिलाता क्यों है ।
वो तो अपने दर्द रो रो के सुनाते रहे…
हमारी तनहाइयों से आंख चुराते रहे और…
हमे बेवफा का नाम मिला क्यूंकि हर हर दर्द मूस्करा कर छुपाते रहे ।
ना कोई मेरा मंजिल है ना किनार…
तन्हाई मेरी महफिल और यादे ना मेरा सहारा
उनसे बिछड़ कर कुछ यूँ वक्त गुजरा
कभी जिंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा.
दर्द है दिल मे पर इसका एहसास नहीं होता…
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता…
बर्बाद हो गए उनके प्यार में…
और वो बेवफा कहती है इस तरह प्यार नहीं होता ।
bewafa shayari in hindi
छोड़ गए हमको वो अकेले ही राहों में
चल दिए रहने वो औरों की पनाहों में
शायद मेरी चाहत उन्हे रास नहीं आई,
तभी तो सिमट गए वो गैर की बाहीं में।
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है…
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है…
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग…
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।
जिनसे थे मेरे नैन मिले…
बन गए थे ज़िन्दगी के सिलसिले…
इतना प्यार करने के बाद भी…
सनम मेरे बेवफा निकले।
जिस वफ़ा की खातिर हमने…
अपना सब कुछ लुटा दिया…
उससे तो सिर्फ बेवफाई मिली…
और बेवफा ने सब भुला दिया।
हर गम की दवा नहीं होती..
क्या होता जो दुआ नहीं होती…
बैखोफ लोग तोड़ देते है दिल…
ये सौचकर की इस जुर्म की कोई सजा नहीं होती।
जिसने कभी चाहत का पैगाम लिखा था…
जिसने कभी सब कुछ मेरे नाम लिखा था…
सुना है आज उसे मेरे जिक्र से भी नफरत है…
जिसने कभी अपने दिल पर मेरा नाम लिखा था।
दुनिया में कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता,
मरने वाले के साथ हर कोई नहीं मरता,
अरे मरने की बात तो दूर रही,
यहाँ तो जिंदा है पर कोई याद तक नहीं करता.
कितना दूर निकल गए रिशते निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते,
लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में…
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते ।
जीने की खाविशा में हर रोज मरते है…
वी आये ना आये हम इंतेजार करते है…
झूठ ही सही मेरे यार का वादा…
हम आज भी सच मान कर उनपर एतबार करते है
जिंदगी से अपना हर दर्द छुपा लेना…
खुशी ना सही गम गले लगा लेना…
कोई अगर कहे मोहबत आसान है…
तो उसे मेरा टुटा हुआ दिल दिखा देना ।
हमे फूलों से क्या गिला…
हमने तो खुद काँटों से मोहब्त की है…
हमे किसी की बेवफाई से क्या लेना देना…
हमे तो खुद बेवफाओं से मोहब्बत की है.
पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके प्यार क्या होता है
हम पहचान न सके हमने उन्हें अपने दिल में बसा लिया इस कदर कि..
जब चाहा उन्हें दिल से निकाल ना सके।
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज् के दौर में गुजीरी मुकाताे लुलागी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
तन्हाई ना पाए कोई साथ के बाद,
जुदाई ना पाए कोई मुलाकात के बाद,
ना पड़े किसी को किसी की आदत इतनी,
कि हर सांस भी आए उसकी याद के बाद.
हमें उम्मीद है कि आपको हमारी bewafa shayari पसंद आई होगी धन्यवाद।
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