बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है… लोग गलतफहमी में हैं*, कि शायद कहीं मरहम बिकता है… इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है, उम्मीदों से ही घायल है और उम्मीदों पर ही जिंदा है…!
सफलता के लिए कोई लिफ्ट नहीं होती, उसके लिए तो सीढ़ी ही एकमात्र विकल्प है।
कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन भी खोये क्यों, जिन घड़ियों में हंस सकते है, उन घड़ियों में फिर रोये क्यों
जहां सूर्य की किरण हो वही प्रकाश होता है, और जहां प्रेम की भाषा हो वही परिवार होता है ।।
संघर्ष के मार्ग पर जो वीर चलता हैं, वो ही इस संसार को बदलता हैं, जिसने अन्धकार, मुसीबत और ख़ुद से जंग जीती, सूर्य बनकर वही निकलता हैं।