तलाश जिंदगी की थी, दूर तक निकल पड़े,
जिंदगी तो मिली नही, पर तज़र्बे बहुत मिले।
कुछ रहम कर ऐ जिंदगी,
थोड़ा संवर जाने दे,
तेरा अगला जख्म भी सह लेंगे,
पहले वाला तो भर जाने दे।
तुँ रूठी रूठी सी रहती है ए ज़िंदगी,
कोई तरकीब बता तुझे मनाने की,
मैं साँसे गिरवी रख दूँगा अपनी,
बस तूँ कीमत बता मुस्कुराने की।
रखा करो नजदीकियां जिंदगी का कुछ भरोसा नहीं
फिर मत कहना चले भी गए और बताया भी नहीं ।
मिलो किसी से ऐसे की जिंदगी भर की पहचान बन जाये…
पड़े कदम जमीं पर ऐसे की लोगों के दिल पर निशान बन जाये…
जीने को तो जिंदगी यहां हर कोई जी लेता हैं…
लेकिन जीयो जिंदगी ऐसे की औरों के होठों की मुस्कान बन जाये…